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ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी/स्थापना, पहली कंपनी, मुगल

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी vs मुगल साम्राज्य
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी/स्थापना, पहली कंपनी, मुगल


    ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत पर कब्जा कैसे किया?


    आज हम जानेंगें कि कैसे ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत पर कब्जा किया था।बात की शुरुआत यहाँ से करते हैं। साल 1686 ब्रिटिश के ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुगल साम्राज्य पर पहली बार हमला बोल दिया था। उस वक्त मुगल के गद्दी पर बैठे थे औरंगजेब उस वक्त ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सैन्य बल मुगल के सैन्य बल से बहुत ज्यादा कमजोर था।


     इसलिए बड़े ही आराम से मुगलों की सैन्य ने ब्रिटिश को हराया। उनके फैक्टरी को जब्त कर लिया गया और जो गवर्नर थे उस कंपनी के उनको घुटने टेकने पढ़ें औरंगजेब के सामने फिर भी कैैसे ईतनी ज्यादा बड़ी बन गई थी British east india company कैसे हो गया ये सब आज के इस विषय में हम यही जानेगे और समझने वाले हैं। 

    ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना और उद्देश्य:-


     कहानी की शुरुआत होती है साल 1600 में जब ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना होती है। इस कंपनी को बनाने का उद्देश्य था की मसालों का व्यापार करना साउथ ईस्ट एशिया के लिए मसाले पहुँचाना तैयार करना।


     साल 1601 मे शुरुआत करती है। और इंडोनेशिया में अपनी दो फैक्ट्रियां लगवाती हे। इंडोनेशिया के आईलैंड पर पहले से ही स्पेनिश कंपनी ज़ोर पोर्तुगीज कंपनीस काम कर रहे थे उसी वक्त डच कंपनी ने भी व्यापार करना चालू किया ये डच कंपनी बाकी कंपनियों से ज्यादा पैसा कमाती है। उनके पास ज्यादा पैसा होता है, आर्मी भी ज्यादा होती है। बाद में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को लगता है कि अब हमारा व्यापार कहीं और करना चाहिए।

    भारत पर पहिली नजर:-



     दूसरी जगह ढूँढने के चक्कर में उनकी नजर इंडिया पर पड़ जाती है। भारत में पहले से ही बहुत सारे मसाले थे फिर साल 1608 में ईस्ट इंडिया कंपनी के बड़े अफसर भारत पहुंचते हैं।
    और उतरते हैं आज के गुजरात मे और देखते है की देश पर मुगलों का राज़ है। और उनकी 5 मिलियन सशस्त्र सैनिक है। कंपनी के बड़े अधिकारी जानते थे कि उनसे लड़ने का कोई फायदा नहीं तो दोस्ती बनाने की कोशिश करते हैं। ताकि ये लोग हमें यहाँ पर व्यापार करने दे। इसीलिए वहाँ पर जो महाराजा थे उनसे बात करते हैं।


     और बड़े सफर पर निकल जाते हैं। और पहुँच जाते हैं। आग्रा में और वहाँ पर मुगल जहाँगीर के पास जाकर बात करते हैं। और उनसे विनती करते हैं कि हमें यहाँ पर फैक्टरी लगाने की अनुमति दें हम यहाँ व्यापार करना चाहते हैं।


     लेकिन मुगल जहाँगीर यहाँ पर व्यापार करने के लिए मना कर देते हैं। इसका एक कारण था कि वहा पर पहले से ही पोर्तुगीज व्यापारी थे। उनके साथ रिश्ते अच्छे थे इसलिए मना किया था उसके बाद वो भारत के दूसरे इलाकों में जहाँ पर मुगलों का राज नहीं था दूसरे राजा का शासन था ऐसी जगह ढूंढने निकलते हैं।

    ईस्ट इंडिया कंपनी पहिली फैक्टरी कहा लगाती है?


    साल 1611 मैं इनको ऐसी जगह मिल जाती है ओर ओ आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम मैं पहली फैक्टरी लगाते हैं। वहाँ के जो लोकल राजा थे, उन्होंने परमिशन दे दी थी अगले कुछ सालों में ईस्ट इंडिया कंपनी अपनी ओर ज्यादा कंपनियों खडी करती है। और अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश करती है। 

    The Battle of swally:-


    BATTLE OF SWALLY

    साल 1612 ये वापस सूरत चले जाते हैं। ओर पोर्तुगीज़ के खिलाफ़ जंग छेड़ लेते है इसे कहा जाता है The Battle of swally ओर पोर्तुगीज लोग हार जाते हैं।उसके बाद सूरत में सबसे बड़ी कंपनी बन जाती है ईस्ट इंडिया कंपनी।


     उसके कुछ साल बाद साल 1615 मैं ओ आपने राजा के पास आकर विनती करती है कि वो अपनी तरफ से एक संदेश भेजे की हमे वहाँ पर व्यापार करने दिया जाए इसलिए ब्रिटिश के राजा अपनी तरफ से Sir Thomas roe भेचते है।जब ये जहांगीर से मिलते हैं। तब उन्हें बड़े बड़े तोफ़े देते हैं। मुगल जहांगीरी देख के खुश हो जाते हैं। और एक शाही फरमान निकलते है की इंग्लिश लोगों को यहाँ पर अपनी फैक्टरी लगाने के लिए परमिशन दी जाती है। इतना ही नहीं बल्कि उनको और ज्यादा सौलते दे दिए जाती है। कि वो कुछ कुछ इलाकों में अकेले ही व्यापार कर सकेंगे इसके लिए उन्हें ज्यादा पैसे देने होंगे।

    ईस्ट इंडिया कंपनी का विस्तार:-



     मुगल शहंशाह को उसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी की फैक्टरी खड़ी हो जाती है सूरत में अगले दशकों में कई और जगह पर फैक्ट्रियां खड़ी कर देते है मद्रास, बॉम्बे, आग्रा, पटना इन जगहों पर अपनी फैक्टरी खड़ी कर देते हैं कंपनी का धंधा अच्छी तरह से चलता है और बो ज्यादा मुनाफा कमा लेते हैं कपड़ों, सिल्क में, नमक में अफीम चाय जैसी चीजों में व्यापार करके जिन जगहों पर इनकी फैक्ट्रियां थीं उस जगह पर आर्थिक समृद्धि देखने को मिलती थी और लोग आकर्षित होते हैं। इस जगह की तरफ कंपनी इन जगहों पर धीरे धीरे एकाधिकार बाजार बन जाते हैं।


    अभी तक ज्यादा तो फैक्ट्रियां ईस्ट इंडिया कंपनी की पश्चिम और दक्षिण जगहों पर देखने को मिलती थी अब वो जा रहे थे मुगल साम्राज्य की इलाकों में अपनी फैक्टरी बना सके खास करके बंगाल में धीरे धीरे पॉलिटिकल पावर चाहने लगी थी ताकि उन्हें व्यापार करना आसान हो सके बाकी कंपनीस को आसानी से हटाया जा सके बाद में वो जाकर अपने राजा से कहते हैं। 

    ईस्ट इंडिया कंपनी को सैन्य और राजनीतिक अधिकार प्राप्त:-



     हमारी पावर बड़ा दो ताकि हम और ज्यादा मुनाफा कमा सकें फिर साल 1671 उस वक्त जो ब्रिटिश के राजा थे ओ ईस्ट इंडिया कंपनी को अधिकार दे देते हैं की ओ अपनी क्षेत्र पर कब्जा करने का अधिकार ,राजनीतिक पावर अपने हाथों में रख सकते हैं ,पैसे कमाने का अधिकार ,भी दिया और प्रदेशों के अधिग्रहण पर दीवानी और फौजदारी अधिकारिता रखने का अधिकार इतना ही नहीं वो अपनी प्राइवेट आर्मी भी रख सकती है। और जंग भी लड़ सकती हैं इतने अधिकार दिए थे ईस्ट इंडिया कंपनी को।


     साल 1882 मैं ईस्ट इंडिया कंपनी बातचीत करना शुरू कर देती है बंगाल के मुगल गवर्नर शाहिस्ता खान के साथ कंपनी चाहती है कि गवर्नर एक शाही फरमान जारी करें बंगाल में भी आसानी से व्यापार करना हो और टैक्स कम करे तब एक मुगल शहंशाह गद्दी पर थे औरंगजेब उनको लगता है। कि ब्रिटिश कितने लालची है। इतना फैक्टरीज बनाने के बाद भी इन्हें शांति नहीं मिली अब ओ ए चाहते हैं। बंगाल में भी अपनी फैक्टरी  बनाएँ ओ साफ साफ मना कर देते हैं।


    उस वक्त ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर थे Josiah child औरंगजेब के इस फैसले से वो बिल्कुल खुश नहीं हुए और अपनी घमंड में आके ए जंग छेड़ देते हैं। मुगलों के साथ ये बात है। साल 1686 की बुरी तरह से हर जाती है ईस्ट इंडिया कंपनी josiah child माफी मांगनी पड़ती है औरंगजेब से असल में औरंगजेब माफ़ कर देते हैं। ईस्ट इंडिया कंपनी को और उन पर जुर्माना लगा देते हैं। ₹2,00,000 का उनका व्यापारिक अधिकार वापस देव जाता है और जो फैक्टरीज जब्त की गई थी उन्हें वापस दी जाती है। बात यहाँ पर ही नहीं खत्म नहीं होती ईस्ट इंडिया कंपनी को अंदर अंदर से ही लग रहा था कि हमें बंगाल में फैक्टरीस बनानी चाहिए और इन्हें मौका मिल जाता है। साल1707 मे जब औरंगजेब का देहांत हो जाता है औरंगजेब के देहांत के बाद मुगल साम्राज्य बहुत कमजोर पड़ जाता है। बाद में मुगल अंपायर बिखर जाता है। और वहाँ के राजा अपने अपने क्षेत्र पर कब्जा बना लेते हैं। उसके बाद मराठा राजपूत, जाट, रूहीलास ये सब उभर के आते है।

    मराठा राजपूत, जाट, रूहीलास सात युद्ध:-



     मराठा साम्राज्य की शुरुआत कई साल पहले ही शुरू हुई थी मुगल साम्राज्य के वक्त भी मुगलों के लिए मराठा खतरा थे साल 1680 से 1758 के बीच में मुगल और मराठा के बीच बहुत सारे युद्ध लड़े गए मराठा ने मुगलों को बड़ी ही आसानी से हराया और अपने साम्राज्य को बढ़ा ते गये इसी बीच में मुगलों को बड़ा खतरा आता है। पर्शियन से साल 1739 मे पर्सियन रुरल NADER SHAH भारत पर हमला कर देते हैं। और सारा खजाना लूटकर ले के जाते हे। बाद में फिर कुछ साल बाद साल 1748 में Ahmad shah durrani मुगल साम्राज्य में घुस जाते हैं। बाद में फिर मुगल राजपूत के साथ मिलकर नादिर शाह को हरा देते हैं। इस बीच में मुगल साम्राज्य में पैसों की कमी देखने को मिलती जो मुगल साम्राज्य के अंदर राजा महाराजा आते हैं। वो अपना रिवेन्यू मुगलों को देना बंद कर देते हैं।


     इस बीच में ईस्ट इंडिया कंपनी अपने नई कंपनियां बना रही थी और न्यू टेक्नोलॉजी ला रहे थे और ब्रिटेन से और लोगों को मंगाया जा रहा था आओ ईस्ट इंडिया कंपनी में प्राइवेट आर्मी का हिस्सा बनो ऐसा करके इंडिया कंपनी अपने प्राइवेट आर्मी को बहुत ज्यादा मजबूत कर रही थी इन कंपनी के लोगों ने भारतीय लोगों को भी ट्रेनिंग देना चालू कर दिया था और आपने सैनिक दल में शामिल कर लिया था जैसे जैसे वक्त चला गया वैसे वैसे मुगल की गद्दी पर बैठने वाले बदलते गए उस वक्त ईस्ट इंडिया कंपनी हमेशा इस कोशिश में रही कि उन्हें बंगाल में व्यापार करने दिया फिर सही एक वक्त आता है इस साल 1717 मैं उस वक्त के मुगल राजा FARRUKHSIYAR सिर्फ फरमान जारी कर दिया कि टैक्स फ्री व्यापार करने को मिलेगा ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल में इस जारी किए गए फरमान से ईस्ट इंडिया कंपनी किसी भी तरह का टैक्स नहीं भरती थी अब जो जो पैसा मुगल को आ रहता बंगाल से ओ पेसा आना बंद हो गया इसकी वजह से आर्थिक स्थिति और भी ज्यादा खराब हो गई मुगलों की उसके कुछ महीनों बाद बंगाल के पूर्व मुगल थे MURSHID QULI KHAN इन्होंने कहा भाड़ में जाए। 


    मुगल साम्राज्य ए बंगाल मेरे कंट्रोल में है। मैं पूरे बंगाल का नवाब बन जाता हूँ। MURSHID QULI KHAN असल में देखा था कि ईस्ट इंडिया कंपनी यहाँ पर क्या खेल खेल रही है फिर उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी से कहा की यहाँ पर यह खेल नहीं चलेगा अपना टैक्स तो हमें देना ही पड़ेगा ईस्ट इंडिया कंपनी ने कहा कि यह हमारे साथ अन्याय हो रहा है उन्हें लगा कि हमें लोकल राजनीति में शामिल होना चाहिए हमारे फायदे के लिए इसी बीच बाकी और भी सारे चीजें साथ साथ हो रही थी ईस्ट इंडिया कंपनी के जो बाकी प्रतिस्पर्धी थे वो भी मुगल साम्राज्य चैटिंग शुरू करें। को कमजोर करने की कोशिश कर रहे थे इसी बीच में फ़्रेंच भी अपना व्यापार करने के लिए आ गया भारत में कुछ ही सालों में फ़्रेंच ने अपना इलाका जमा लिया भारत में साल 1700 खत्म होने तक फ़्रेंच और ब्रिटिश दो बड़ी पावर बन गई थी भारत मे फ्रांस और ब्रिटेन में पहले से ही दुश्मनी थी।

    WAR OF AUSTRIAN SUCCESSION IN EUROPE:-



     
    साल 1740 बीच में इनके बीच युद्ध हुआ था उसे कहा जाता है WAR OF AUSTRIAN SUCCESSION IN EUROPE उसके बाद फिर साल 1756 मैं एक और जंग होती है। बाद में फिर ये भारत में भी जंग लड़ते हैं। उस वक्त ब्रिटिश जीत गया फ़्रेंच कमजोर पड़ गया उस वक्त भारत के जो पहले राजा थे वो बे आ एक दूसरे के साथ लड़ रहे थे गद्दी के लिए वहाँ के राजाओं ने ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों के साथ मिलकर ग्रुप बनाया जंग लड़ते गए बाद में फिर बंगाल के राजा ने ईस्ट इंडिया कंपनी जो कोलकाता में थे उन पर हमला बोल दिया इसमें बहुत सारे ब्रिटिश लोग मर जाते हैं।

    Black Hole Tragedy of Calcutta :-



     और जो बच जाते है उन्हें बहुत छोटी सी जगह में कैद कर दिया जाता है इस घटना को कहा जाता है। Black Hole Tragedy of Calcutta ब्रिटिश वालों को ये देखकर बहुत गुस्सा आया उन्होंने ठाना की बंगाल के राजा को गद्दी से हटाना ही पड़ेगा।

     इसलिए इन्होंने जो नवाब के खिलाफ़ लोग थे उनसे हाथ मिला लिया ओर प्लान बना लिया नवाब को हटाने का इस बीच मैं Siraj ud Daulah नवाब पहुँच जाते हैं ब्रिटिश के दुश्मन फ़्रेंच के पास।


     और उनसे जाकर हाथ मिलाया और कहा आओ साथ मिलकर लड़ाई करते हैं। ये लड़ाई गई थीं साल 1757 में इसे हम The Battle of plassey कहते हैं।

    The Battle of plassey

    हालांकि siraj -ud Daulah के सैनिक ब्रिटिश से 15 गुना ज्यादा थे फिर भी इस युद्ध को हार गए ब्रिटिश ने ये जंग जीतने के बाद अपने नए दोस्त mir jafar को गद्दी पर बैठाया उसके बाद जो फ़्रेंच थे बंगाल में ओ सब खत्म हो गए इन सब में ब्रिटिश के पास पॉलिटिकल पावर हाथ में आ गई थी कुछ सालों बाद इन्होंने जो नवाब बैठाया था mir jafar उसकी भी राय बदलने लगी ईस्ट इंडिया के खिलाफ़ क्योंकि ईस्ट इंडिया कंपनी जितना काम करवाना चाहते थी वो उतना काम नहीं कर रहा था।


     बाद में ओ नवाब डच ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ हाथ मिला लिया और यह प्रयास किया की किस तरह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को वहाँ से निकाल दिया जाए ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को जैसे ही इसकी भनक पड़ी उन्होंने नवाब को हटा दिया और उनके बेटे Mir Qasim को नवाब बना दिया बंगाल का ज़रा फिर से कंपनी को ये उम्मीद थी कि ये नवाब हमारे मुताबिक चलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कुछ सालों बाद उन्हें भी लगा कि हमें इस से आजाद होना चाहिए बाद में फिर साल 1763 में अपनी आज़ादी के लिए सैनिक ले गए ब्रिटिश सैनिकों से लड़ने के लिए लेकिन उस वक्त ब्रिटिश सेना एक बहुत ताकतवर हो चुकी थी। इसलिए उन्होंने mir qasim हरा दिया युद्ध में और उन्हें गद्दी से निकाल दिए गया। उसके बाद मीर जाफर को फिर से बुला लिया गया कि ये बोलके कि हम तुम्हें दोबारा चांस दे रहे हैं। उसके बाद कासिम बंगाल छोड़कर बाहर चले गए उन्हें समझ आ गया था कि यह लड़ाई अकेले लड़कर जीत नहीं जा सकती।


     इसलिए वो अवध के नवाब SHUJA-UD-DAULA के पास चली गए और फिर मुगल के मुखिया SHAH ALAM के पास चले गए। और इन तीनों ने हाथ मिला लिया और कहा कि ब्रिटिश को बाहर निकाल देते हे। बाद में फिर ब्रिटिश और इनके बीच युद्ध होता है। 

    BATTLE OF BUXER:-


    BATTLE OF BUXER

    साल 1764 में इसे कहा जाता है BATTLE OF BUXER कहते हैं। मगर ये लड़ाई भी ब्रिटिश जीत जाता है। उसके बाद ब्रिटिश को लगता है। कि हमें खुद गद्दी संभाल नी चाहिए इसलिए वो खुद गद्दी पर बैठ जाते हैं । फिर साल 1765 में Treaty of Allahabad के अनुसार Robert Clive कमांडो के राज्यपाल और प्रमुख बन जाते हैं बंगाल के। इसके बाद उनकी ताकत और भी ज्यादा बढ़ गई। सैनिक बल और भी ज्यादा बढ़ा दिया गया। देखते ही देखते पूरे बंगाल का कब्जा ब्रिटिश के पास आ गया।

    भारत के बाकी के इलाकों में अपना कब्जा कैसे बना लिया?


    अब बात करते हैं कि उन्होंने कैसे भारत के बाकी के इलाकों में अपना कब्जा बना लिया इसके लिए इन्होंने कई तकनीक का इस्तेमाल किया।
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     इन्होंने जीस उप महाद्वीप पर। उनका ताँबा नहीं था वहाँ पर ब्रिटिश ने अपने अंग्रेजों ने वहां के निवासी नियुक्त किए रहवासियों थे जो ब्रिटिश के लिए राजनयिक काम करते थे। ये लोग वहाँ के लोकल महाराजा के साथ दोस्ती बनाने की कोशिश करते हैं। जो राजा महाराजा इन् के साथ दोस्ती बनाता था वो उनको सलाह देते थे की वो राजनीति कैसे करें उनके राजनीति में घुसने की कोशिश करते थे।
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    दूसरी तकनीक थी जो इन्होंने इस्तेमाल की वो अपने राजा को ऐसा सुना देते थे कि वो ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ सहायक गठबंधन करे इस गठबंधन में राजा अपना सैनिक बल नहीं रख सकता था खुद से लड़ाईयां नहीं लड़ सकता था ईस्ट इंडिया कंपनी उनके लिए एक सैनिक बल तैयार करेगा। इसके लिए वहाँ के लोकल राजा ईस्ट इंडिया कंपनी को पैसे देंगे। वहाँ के राजा को लगता था कि उनका सैनिक पर होने वाला खर्चा कम हो जाएगा। मगर ईस्ट इंडिया कंपनी के नज़रिए से देखा जाए तो बात कुछ और थी।उनको लगता था कि अगर इनका सैनिक बल नहीं होगा तो हम पर अटैक नहीं करेंग हमारे पास पैसे भी ज्यादा आ रहे हे। .बाद में फिर अगर राजा पैसे नहीं देता तो उनके कुछ इलाकों पर कब्जा कर लेते थे।ऐसा थोड़ा थोड़ा करके ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने इलाके को बढ़ाया. साल 1798 हैदराबाद पहला राज्य है। जिसने ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ सहायक गठबंधन किया था। इन दोनों तकनीकों का इस्तेमाल करके भारत के कई सारे इलाकों में अपना कब्जा बना लेते है। बाद में बचे खुचे इलाकों को कब्जे में लेने के लिए तीसरे टेक्नीक का इस्तेमाल किया इसे कहते है।
    3#

     The Doctrine of Lapse इस तकनीक का परिचय करा दिया गया था साल 1847 में ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसरों के द्वारा। इस तकनीक का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया गया साल 1848 में  सिद्धांत के अनुसार किसी राजा का देहांत हो जाता है। तो उनके पास इसके ऊपर बैठने के लिए कोई वारिस नहीं होता है। तो ईस्ट इंडिया कंपनी का हिस्सा बन जाएगा इस तकनीक का इस्तेमाल करके कई ईलाको पर कब्जा किया।


    अब इनके सामने आखिरी और सबसे बड़ी ताकत मराठा साम्राज्य ,मैसूर साम्राज्य से खड़े थे। इन दो साम्राज्यों को ईस्ट इंडिया कंपनी ने कैसे हराया? ये एक अलग कहानी है। इसके ऊपर बाद में आर्टिकल लिखा जाएगा।

    Fast war of independence:-




    साल 1857 में विद्रोह हो जाता है। जिसे फर्स्ट वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस कहा जाता है। हालांकि भारतीय इस जंग को हार जाते हैं। बाद में ब्रिटिश गवर्नमेंट ईस्ट इंडिया कंपनी को नेशनलाइज कर देती है। मतलब जीतने भी पैसे,उप महाद्वीप, सैनिक,कंपनीस ईस्ट इंडिया के पास होती है, वो सारी ब्रिटिश सरकार की हो जाती है। इसके बाद ब्रिटिश राज़ की शुरुआत हो जाती है। साल 1857 और मुगल साम्राज्य काल खत्म होता है। 

    ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत कैसे छोड़ा?


    भारत, प्रस्थान, शासन का अंत, सत्ता का हस्तांतरण, भारत का विभाजन

    ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा क्योंकि उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों पर नियंत्रण हासिल कर लिया और भूमि पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया। हालाँकि, भारत से उनके प्रस्थान ने उनके शासन के अंत और भारतीय लोगों को सत्ता के हस्तांतरण को चिह्नित किया।

    1947 में भारत के विभाजन के साथ, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी एक स्वतंत्र राज्य के गठन के रूप में प्रभावी रूप से भारत से हट गई। यह प्रक्रिया बिना चुनौतियों के नहीं थी, क्योंकि विभिन्न समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी और विभिन्न राजनीतिक आंदोलनों ने विभिन्न क्षेत्रों पर अपना दावा ठोंकने का प्रयास किया। फिर भी, कंपनी ने अंततः अपने सभी कर्मियों और संपत्तियों को भारत से वापस ले लिया, कंपनी के बाएं क्षेत्र में उनके ब्रिटिश सदियों पुराने पूर्व प्रभुत्व को समाप्त कर दिया। भारत

    कुल मिलाकर, 19वीं शताब्दी के मध्य में ब्रिटिश राजनीतिक पूर्व उथल-पुथल के बीच प्रस्थान में भारत और कंपनी असंतोष से व्यापक भारत के साथ अपने शासन को चिह्नित किया। महत्वपूर्ण यह मोड़ प्रस्थान बिंदु देश की घटनाओं के इतिहास द्वारा चिह्नित किया गया था। इस तरह इसने भारतीय में 1857 के एक नए विद्रोह की शुरुआत की, जिसमें से स्वतंत्रता ने कंपनी की भारतीय प्रतिष्ठा के लोगों को और प्रभावित करने की अनुमति दी। 1858 के नियंत्रण में, उनकी कंपनी की भूमि को पुनः प्राप्त किया गया और नियति द्वारा उन्हें भंग कर दिया गया। आज, ब्रिटिश सरकार, भारत के नियंत्रण कंपनी को विभिन्न क्राउन में स्थानांतरित करने की विरासत को प्रभावी ढंग से स्थानांतरित कर रही है। सांस्कृतिक, यह आर्थिक, भारतीय समाज में राजनीतिक प्रमुख पहलुओं को लाया और लाया, राजनीतिक जो और भारत के परिदृश्य के रूप में प्रशासनिक सेवा करता है, और अंततः देश के समृद्ध और इतिहास के लिए जटिल मार्ग प्रशस्त करता है। 1947 में भारत की स्वतंत्रता। इस प्रकार, भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की विरासत आज भी विवादित है, देश के इतिहास और पहचान पर इसके प्रभाव के साथ बहुत बहस और चर्चा का विषय बना हुआ है।

    Q&A:-


    1): ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना किसने की थी?
    ऊ: कंपनी की स्थापना महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने 1600 में की थी।

    2): मुगल साम्राज्य की राजधानी क्या थी?
    ऊ: साम्राज्य की राजधानी 1648 तक आगरा थी, जिसके बाद यह दिल्ली थी।

    3): ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में कब अपना पैर जमाया?
    ऊ: कंपनी ने 1608 में सूरत में अपना पहला ट्रेडिंग पोस्ट स्थापित किया।

    5): दो शक्तियों के बीच संघर्ष का प्राथमिक स्रोत क्या था?
    ऊ: संघर्ष का प्राथमिक स्रोत व्यापार मार्गों और बाजारों पर नियंत्रण था।

    6): ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अंततः मुगल साम्राज्य को कैसे हराया?
    ऊ: कंपनी ने मुगल साम्राज्य के भीतर विभाजन का शोषण किया और नियंत्रण लेने और प्रभुत्व स्थापित करने के लिए तेजी से आक्रामक सैन्य रणनीति अपनाई।

    7). ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मुगल साम्राज्य के बीच क्या संबंध थे?
    उत्तर: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का मुग़ल साम्राज्य के साथ सहयोग से लेकर शत्रुता तक का एक जटिल रिश्ता था।

    8. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत पर नियंत्रण कैसे प्राप्त किया?
    उत्तर: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने सैन्य विजय, राजनीतिक गठजोड़ और आर्थिक हितों के संयोजन के माध्यम से भारत पर नियंत्रण प्राप्त किया।

    9. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का मुगल साम्राज्य पर क्या प्रभाव पड़ा?
    उत्तर: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन ने महत्वपूर्ण राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन लाए, जिसने मुगल साम्राज्य को कमजोर कर दिया और अंततः इसके पतन में योगदान दिया।

    10. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के उदय में मुगल साम्राज्य की क्या भूमिका थी?
    उत्तर: मुगल साम्राज्य के पतन और राजनीतिक विखंडन ने भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की शक्ति के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    11. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियां मुगल साम्राज्य से किस प्रकार भिन्न थीं?
    उत्तर: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियां मुगल साम्राज्य से काफी भिन्न थीं, विशेष रूप से भूमि के स्वामित्व, कराधान और व्यापार विनियमन के मामले में।

    12. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत क्यों छोड़ा?
    उत्तर: खराब प्रबंधन और भ्रष्टाचार के कारण कंपनी दिवालिया हो गई, जिसके कारण 1858 में ब्रिटिश क्राउन ने नियंत्रण ग्रहण कर लिया।

    13. 1857 के भारतीय विद्रोह ने क्या भूमिका निभाई?
    उत्तर: विद्रोह ने भारत पर कंपनी की पकड़ को कमजोर कर दिया, जिसके कारण ब्रिटिश ताज ने सत्ता संभालने का फैसला किया।

    14. क्या ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत में सकारात्मक प्रभाव था?
    उत्तर: कंपनी ने बुनियादी ढांचे के साथ भारत का आधुनिकीकरण किया, लेकिन इसके संसाधनों का भी दोहन किया, जिससे आर्थिक और सामाजिक असमानताएं पैदा हुईं।

    15. क्या ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ कोई प्रतिरोध आंदोलन थे?
    उत्तर: हां, महात्मा गांधी सहित कई भारतीय नेताओं ने आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिसके कारण अंततः 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली।

    16. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की विदाई ने भारत के भविष्य को कैसे प्रभावित किया?
    उत्तर: इसने सदियों के औपनिवेशिक शासन के अंत को चिह्नित किया और देश के स्वतंत्रता आंदोलन के लिए मंच तैयार किया, लेकिन साथ ही गहरे बैठे आर्थिक और सामाजिक मुद्दों को भी पीछे छोड़ दिया जो आज भी जारी है।

    अगला लेख:-


    1) इंदिरा गांधी आपातकाल/अवधि, कारण, प्रभाव, सारांश।


    2) केरल की कहानी/वास्तविकता, आईएसआईएस के मामले, धर्म परिवर्तन, साक्ष्य।

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