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Antarctica- political crisis, History, whether, map,animals

 अंटार्कटिका क्या है?

Antarctica
ANTARCTICA 



    1} अंटार्कटिका का तापमान ( antarctica temperature) :-

     
        Antarctica दुनिया का ऐसा एक महाद्वीप है जहाँ पर ना तो कोई देश हे, ना तो कोई सरकार हे, ना तो कोई लोग हैं जो कि सदियों से रह रहे हैं। इसके पीछे कारण ये है की ये दुनिया का सबसे ठंडा महाद्वीप है।  यहाँ का तापमान -89°c तक जाता है। साथी सात यहाँ पर 300 किलोमीटर प्रति घंटा से बर्फ़ीला तूफ़ान आता रहता है।  इसके अलावा दुनिया का सबसे सूखा महाद्वीप के नाम से ANTARCTICA को पहचाना जाता है। साल भर में 50 ml तक यहाँ पर बारिश होती है वो भी गिरती है तो बर्फ़ बन जाती है। इसका मतलब यह हुआ की यहाँ पर इंसानों का अस्तित्व ना के बराबर है। 


    2} अंटार्कटिका का पॉलिटिकल मैप (Political Map of Antarctica):-


         लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दुनिया के अलग अलग देशों ने पर कब्जा करने की कोशिश न की हो नीचे दिए गए नक्शे को ज़रा ध्यान से देखो France, Norway, Australia, Britain, chile, Argentina, New zealand,जैसे देश Antarctica के कुछ हिस्सों में अपना अपना अधिकार जमाते हैं। क्या Antarctica  सच में इन आलग अलग देशों में बंटा हुआ है? अंटार्कटिका को कौन नियंत्रित करता है? 7वें महाद्वीप का रहस्य क्या हे ? आइए जानते हैं आज के विषय  MISTRY OF ANTARCTICA के बारे में।


     

    3} यूनानी दार्शनिक अरस्तू ( Greek philosopher Aristotle):-


          हमारे कहाणी की शुरुआत शुरू से करते हैं .पू 350 Greek philosopher ARISTOTLE पहले लोगों में से थे जिन्होंने कहाथा धरती गोल है। Greek जानते थे की उस समय धरती के उतर मे Arctic करके कोई  जगह है जिससे लोग ARCTOS करके पुकारते थे ARCTOS शब्द आया था भालू से आसमान के तारामंडल मे जब इन्हे बडा तारा दिखाई दे तो ये लोगो ने इसका नाम Arctic का नाम ARCTOS रख दिया आब क्योंकि ये लोग जानते थे कि धरती गोल है तो इसके दक्षिण में कुछ हे तो पूर्व में भी कुछ होगा तो इन्होंने सोचा अगर दक्षिण में कुछ चीज होगी तो हम उसका नाम ANTARCTOS रखेंगे इसका मतलब होता हे उस भालू का उलटा और  यहीं से नाम निकलकर आया दोस्तों ANTARCTICA हालांकि साल 1890 को इंसानों ने Antarctica के धरती पर पहिला कदम रखा लेकिन इससे कई सालों पहले Antarctica नक्शों में दिखाई देना चालू हो गया था बहुत से कई खोज करता ओ ने दुनिया भर में खोज करते हुए वो जानते थे की अगर हम  धरती के दक्षिण में हम जाएंगे तो वहाँ पर कोई जमीन अस्तित्व में है लेकिन वो लोग ये नहीं जानते थे कि उस जमीन पर आखिर है क्या. ओर कितनी बड़ी है. और कैसी है?


     4} फ्रेंच ने बनाया हुआ पहला नक्शा (first map made by french) :-


          इसी कारण से जो फ़्रेंच के खोजकरता  जब उन्होंने नक्शा बनाया धरती का साल 1530 मे उन्होने Antarctica को नक्शे में ये दिखाया.और उसे नाम दिया TERRA AUSTRALIAS INCOGNITA इसका मतलब होता है Unknown Southern Land.


     

    5} अंटार्कटिका के दक्षिण में जाने वाले पहले इंसान ( first man to go south of antarctica) :-


          इसके 200 साल बाद साल 1773 मे ब्रिटिश नौसेना अधिकारी JAMES COOK पहले इंसान बन जाते हे Antarctica के दक्षिण मे जाने वाले ये 130 किलो मीटर दुर थे Antarctica के तब उन्होंने जहाज को वापस मोड़ा हालांकि उन्होंने Antarctica को देखा नहीं लेकिन उन्होंने बर्फ़ के पहाड़ जरूर देखें थे। जब उन्होंने उन पत्थरों को देखा तब उन्हें ही लगा TERRA AUSTRALIS INCOGNITA करके जगह कोई वहाँ पर हें।  और ज्यादा Antarctica के करीब जाना इतना खतरनाक था वहाँ पर हवा इतनी तेजी से चल रही थी ओर जहाज किसीबी बर्फ़ के पत्थर से टकरा सकते थे। लेकिन इनके ये शब्द 50 सालों बाद गलत साबित हो जाते हैं। अब पहली बार Antarctica के जमीन पर कदम किसने रखा ये काफी विवादित मसला  है क्योंकि कई लोग कहते हैं कि वह पहले इंसान है। ब्रिटिश अमेरिकन कैप्टन John Davis उनका मानना था कि उनका जहाज भटक गया था और वो Antarctica में पहुँच गया थे. पहली निर्विवाद लैंडिंग हुई थी साल 1895 मे येक Norwegian जहाज जिसका नाम ही था Antarctica वो इसके किनारे तक पहुँच गया इस जहाज में मौजूद लोगों ने छोटी सी नाव उतारी छह सात लोग बैठकर अंटार्टिका की जमीन पर गये इस नाव में येक Norwegain थे CARSTEN BORCHGREVINK ये कहते है कीवर्ड से पहले वो उतरे थे और उन्होंने  पहला कदम रखा Antarctica के जमीन पर इस जहाज पर दूसरे बंदे थे जो की New Zealand के Alexander इनका कहना था कि जहाज को संतुलित रखने के लिए इन्होंने कदम रखा था जमीन पर।


         

       

      इसके बाद  साल 1900 के 10 से 20 साल मैं कई वैज्ञानिक खोजें की गई इस द्वीप पर उन्हें पता चला है कि पेड़ पौधे भी उगते हैं इस महाद्वीप पर । यहाँ से शुरू होता है अंटार्कटिका का औपनिवेशिक काल दूसरे देशों ने Antarctica पर अपना कब्जा बनाने की कोशिश की साल 1908-1942 के बीच में सात देशों ने अपनी संप्रभुता का दावा किया Antarctica पर ये देश थे Argentina, Australia, chile,France, New Zealand, Norway और United kingdom इसके अलावा कई और देश थे USA, Soviet union,  japan, sweden, Belgium, Germany जांच पड़ताल कर रहे थे नए अभियान कर रह थे Antarctica पर बिना किसी क्षेत्र का दावा किए.


     6} हिटलर की अंटार्कटिका खोजकर्ता ( Hitler's Antarctica Explorers) :-


         हिटलर के समय में साल 1939 मे German Antarctica खोजकर्ता भी हुई थी जिसमें ये लोग विमान लेकर गए थे Antarctica पर और वहाँ पर कुछ जगहों पर फोटो खींचें और कहा ये एरिया अब Nazi Germany के कंट्रोल में है।


      

    7} अंटार्कटिका पर अमेरिका की राय (America's opinion on Antarctica) :-


        यहाँ पर अमेरिका का कहना था कि। अगर कोई देश उस जमीन पर अपना अधिकार जमाता है तो उस देश के लोगों वहाँ पर आकर रहना होगा।  लेकिन ऐसा होता नहीं।  आब जैसे Antarctica पर अलग अलग देश कब्जा जमाने की कोशिश करते हैं। दूसरा विश्वयुद्ध खत्म होने के बाद बहुत सारे देश एक दूसरे से और भी ज्यादा लड़ने लगे Antarctica जमीनें हड़पने के लिए। कई देशों ने अपने अपने परमानेंट स्टेशन्स लगाएं साल 1950 मे Soviet union की सरकार Memorandum जारी कर देते हैं बाकी देशों के लिए अगर कोई भी देश सोवियत यूनियन से पूछे बिना क्षेत्र का दावा करेगा बिना सोवियत के भागीदारीके Antarctica को लेकर फैसला लेगा सारा देश किसी भी दावे को नहीं मानेगा इस समय तक अमेरिका और सोवियत यूनियन के बीच cold war चल रहा था। लोगों को अब डर लगने लगा ये दोनों देश अंटार्टिका पर अपनी जीवोपॉलिटिक्स ना खेलने लग जाए।  वैसे ही एक दो देश। दुनिया के अलग अलग देशों से लड़ रह थे रह थे कहीं ऐसा ना हो कि ये Antarctica के जमीन पर लड़ने लगे।  लेकिन ऐसा नहीं होता।  साल 1958 में अमेरिका के प्रेसिडेंट Dwight D.Eisenhower बाकी सरकारों को नोटिस भेज देते हैं और कहते हैं कि एक संधि होनी चाहिए जिससे ये सुनिश्चित हो जाए की Antarctica हमेशा आजाद देश रहे।


     8} अंटार्कटिका संधि ( Antarctica Treaty) :- 


      

      15 अक्टूबर 1959 को Washington में एक कॉन्फ्रेंस होती है इस चीज़ को लेकर  और 1 दिसंबर 1959 को Antarctica संधि को साइन किया जाता है।  इस संधि में तीन बड़ी चीजें कही जाती है।  पहला Antarctica को शांतिपूर्ण उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। दूसरा वैज्ञानिक शोध के लिए यहाँ पर सबको आजादी होगी।  और वैज्ञानिक नतीजों से जो पता चला है वो सब को बताया जाएगा।  इस संधि को 12 देशों के सरकारों द्वारा  साइन किया जाता है। इसमें वो सारे देश थे जो अंटार्टिका को अपना मानने का दावा कर रहे थे। ये संधि खत्म होगी 2048 में बाद में इस संधि को रीशेड्यूल किया जाएगा कि नहीं यह देखने वाली बात होगी। लेकिन आज के दिन तक परिस्थिति ये है कि यहा पर geopolitics कम खेली गयी और वैज्ञानिक शोध ज़्यादा लगाए गए। Antarctica पर शोध करने के लिए  वैज्ञानिक की टीम बनाई गई है जिसमें अलग अलग देशों के वैज्ञानिक एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं।


     9} अंटार्कटिका पर भारत की भूमिका क्या है? ( What is India's role on Antarctica?) :-


                  

       अब इस पूरे मामले में भारत की भूमिका क्या है ये जानते है।  शुरुआत में भारत पूरी तरह से Antarctica के संधि के खिलाफ़ था क्योंकि भारत को लगता था कि ये संधि उन 12 देशों की साजिश थी Antarctica को हड़पने की हालांकि यह देश मानते हैं कि अंटार्टिका को  शांतिपूर्ण उद्देश्य के लिए इस्तमाल करना है।  शायद यह भी हो सकता है कि ये सारे देश यहाँ पर खनन भी कर ले अगर तेल मिल जाए तो तेल को निकालना लग जाए।  करीब 30 सालों बाद दिसंबर 1981 मे भारत ने पहली बार अभियान चालू किया अंटार्टिका में ये चीज़ भारत ने गुप्त तरीके से की बाकी देशों को इसके बारे में पता न चले. इसका नेतृत्व किया था  प्रसिद्ध समुद्री जीव विज्ञानी DR SYED ZAHOOR QASIM द्वारा भारत ने बर्फ तोड़ने वाले जहाज Norway से मंगाए थी, जिसका नाम था POLAR CIRGLE यह अभियान सफल होता है।



      

      और उस वक्त के एक मैगज़ीन में इस खबर को फैलाया जाता है।  ये करना गैरकानूनी था क्योंकि भारत उस संधि का हिस्सा नहीं था इसके लिए भारत को अंटार्टिका पर वैज्ञानिक शोध करने की अनुमति नहीं थी उस वक्त भारत Non-Aligned Movement का भी हिस्सा था जब सोवियत यूनियन और अमेरिका के बीच कोल्ड वॉर चल रहा था ज्यादातर देश इस इस तरफ या उस तरफ थे लेकिन भारत दोनों के तरफ नहीं था।



       साल 1983 मे non-Aligned देशों ने इतना मजबूर किया United Nations के  असेम्बली को उन्होंने कहा अगले मीटिंग मे हम Antarctica का मुद्दा उठाएंगे। उस मीटिंग के एक महीने पहले भारत ने Antarctica के  संधि को साइन कर लिया। और consultative party states के लिये अप्लाई कर दिया बाकी देशोकेलीय ये चौंका देने वाली चीज़ थी क्योंकि उस टाइम तक भारत इस संधि के खिलाफ़ था और फिर एकदम से भारत ने भी इस संधि को साइन कर लिया। आज के दिन भारत के दो ऐक्टिव स्टेशन है अंटार्टिका में जहाँ पर वैज्ञानिक शोध किए जाते हैं।


     10} अंटार्कटिका पर्यावरण संरक्षण संधि (Antarctica Environmental Protection Treaty):-



      इसके बाद साल 1991 में पर्यावरण संरक्षण संधि को साइन किया गया Antarctica में जिसे Madrid  Protocol भी कहा जाता हे क्योंकि इसे spain की राजधानी Madrid साईन किया गया था. इसमें था की Antarctica में ड्रिलिंग और खनन लिए बंदी लगाई गई है।  और साल 1992 में पता लगाया गया था की अंटार्टिका के नीचे 19 billion barrels  तेल है जो निकाला जा सकता है। रशिया के खनिज शोधकर्ता का कहना है की Antarctica के नीचे 500 billion barrels तेल और गैस हे लेकीन दो कारणों की वजह से आज तक अंटार्टिका में ऑयल की खुदाई क्यों नहीं की गई।  इसमें से पहला कारण है Madrid Protocol और दूसरा  कारण ये है कि ये करना बहुत महंगा है आज के दिन। आने वाले समय में शायद यहाँ से तेल निकाला जा सकता है। geopolitics के नज़रिए से देखा जाए तो आज के दिन Antarctica कोई देश नहीं है लेकिन राजनीतिक नज़र से महत्वपूर्ण जगह जरूर हें। Antarctica की अपनी ना तो कोई पुलिस,आर्मी, कायदेशीर प्रणाली नही हे.उम्मीद करता हूँ मेरा ये आर्टिकल आपको अच्छा लगा हो।


    धन्यवाद!


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